Krodha Ka Phal
हमने सुना है क्रोध में लोग अक्सर अपना विवेक खो देते हैं और हमेशा खुद का ही नुकसान करते हैं। कभी-कभी तो कुछ ऐसा कर
Transformational Journey Begins
हमने सुना है क्रोध में लोग अक्सर अपना विवेक खो देते हैं और हमेशा खुद का ही नुकसान करते हैं। कभी-कभी तो कुछ ऐसा कर
सृष्टि में, मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिसे कितना ही मिल जाए कभी संतुष्ट नहीं होता| यह बात आश्चर्यजनक परन्तु सत्य है, कभी यह मानने
मैं अपना व्यक्तिगत अनुभव आप सभी से साझा करना चाहता हूँ । आज की इस दौड़ती भागती ज़िंदगी में वक्त के साथ – साथ हर
गुरु शब्द की व्याख्या जितने भी विद्वानों की, सबका आशय एक ही है। “गु” का अर्थ अंधकार और “रु” का अर्थ प्रकाश है। अर्थात वह
पन्ना जिले मे हीरे की खदानें हैं, वहाँ के एक अत्यंत साधारण परिस्थिति वाले व्यक्ति ने सरकारी अनुमति लेकर एक स्थान पर खुदाई की ।
एक बार एक मालिक और नौकर चार ऊंठ लेकर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश जा रहे थे । वे लोग जंगल के रास्ते से होते
संसार में हम और आप अनेक समस्याओं से झूझते रहते हैं। हम समस्या का हल खोजते हैं उससे मुक्त होते हैं फिर किसी अन्य समस्या
अक्सर हम दूसरों को Judge करते हैं और ये हमारी आदत बन गयी है। हमारी इस गंदी आदत के कारण हम कई बार दूसरों की
हम आप सब जानते हैं कि जिस Building की नीव कमजोर हो, उस पर कितना ही सुंदर construction कर उसे कितना ही सजाया जाये सब
कभी-कभी किसी प्रकरण में ऐसे भी अवसर आते हैं जब Management सोच में पड जाता है और निर्णय लेना कठिन हो जाता है कि वास्तविक
एक बार एक राजा एक संत के दर्शन करने पहुंचे । राजा ने कहा हे महात्मा ! मैं प्रजा के हित में अनेक निर्माण कार्य
हम अक्सर किसी भी बाबा – बैरागी की सिद्धियों और करामात देखकर उससे आकर्शित हो जाते हैं कभी- कभी तो हम उसके भक्त भी बन
लगभग सभी बच्चों के मन में पांच- छ: वर्ष की उम्र से कम से कम 15 -16 वर्ष की उम्र तक अपने पिताजी के लिये
हमने कक्षा छ: में एक श्लोक पढा था “ विद्या ददाति विनयं” ……. भावार्थ यह है कि – विद्या प्राप्त करने पर हमें ज्ञान प्राप्त
मैं कुछ कहूं उससे पहले मुझे विदेश की एक सत्य घटना याद आ गयी जो मैंने कई साल पहले पढा था। घटना ये थी कि