मैं कुछ कहूं उससे पहले मुझे विदेश की एक सत्य घटना याद आ गयी जो मैंने कई साल पहले पढा था। घटना ये थी कि एक लड़की अपने कार्यालय से सायंकाल घर लौट रही थी और उसे जिस रास्ते से आना होता था, उसका कुछ भाग अक्सर सुनसान हुआ करता था। एक दिन उसी सुनसान जगह पर एक अनजान व्यक्ति खडा था और जब वह लगभग करीब पहुंची तो महसूस हुआ कि उसके इरादे नेक नहीं हैं । वह व्यक्ति उसे घूर रहा था किंतु उसने न तो कुछ कहा, न ही रोका । लड़की घबराई हुई घर आ गयी। अगले दिन खबर मिली कि उसी सुनसान स्थान पर लगभग उसी समय एक लड़की जो कि अकेली आ रही थी, उसे किसी ने लूट कर हत्या कर दी और पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है। इस खबर को पढते ही उस लड़की ने तत्काल ही पुलिस को फोन कर यह जानकारी दी कि कल की घटना के थोडे समय पहले मैं उसी स्थान से गुजर रही थी । उसी स्थान पर एक अनजान व्यक्ति मुझे घूर रहा था जिसके इरादे ठीक नहीं लगते थे । व्यक्ति को पहचानने की आवश्यकता हो तो कृपया मुझे बुलाइये। एक-दो दिन के बाद ही पुलिस ने उस लड़की को बुलाया । थाने में चार अपराधी खडे थे। लड़की से कहा गया इनमें से पहचानिये । उसने तत्काल ही पहचान कर बता दिया कि मुझे जो घूर रहा था वह ये व्यक्ति है और मेरे जाने के तत्काल बाद ही यह घटना घटी । उस अपराधी से जब पुलिस ने पूछ्ताछ की तो उसने अपना अपराध स्वीकार किया । पुलिस ने पूछा कि तुम इस लड़की को भी घूर रहे थे तो तुमने इसे क्यों नहीं लूटा ? अपराधी ने कहा – इसके साथ दो बाँडीगार्ड थे जिनसे मैं अकेला नहीं लड सकता था इसलिये इसको मैंने नहीं रोका । पुलिस ने उस लड़की से कहा कि तुमने तो हमसे यह कहा था कि तुम अकेली थी ! लड़की बोली जी सर ! ये सत्य है कि मै अकेली थी किंतु मैं जब भी घर से निकलती हूं तो पहले भगवान से यह प्रार्थना करती हूं कि हे सर्वशक्तिमान ! तुम मेरे साथ में ही रहना और मेरी रक्षा करना । आज मुझे विश्वास हो गया कि वो ईश्वर मेरे साथ थे जो इस आरोपी को मेरे दो बाडीगार्ड के रूप में दिखे और मेरी रक्षा हुई ।
आप सब भी ये अवश्य महसूस करते होंगे कि जीवन का समय कष्टमय हो या सामान्य, हम चाहे कितने ही बलवान हों, अथवा कितने ही बुद्धिमान हों किंतु हर परिस्थिति में हम न तो अपनी रक्षा कर सकते हैं न ही दूसरे की। अत: आवश्यकता है कि हम भी स्वयं को सर्वशक्तिमान परमात्मा को सॉपें । उसके दिव्य सुरक्षा कवच के अतिरिक्त जीवन में अन्य कोई हमारा जीवनगार्ड है ही नहीं ।