मंजिल पाना असंभव नहीं:
हम अक्सर प्रतिकूल परिस्थियों के कारण और कुछ प्रयासों के विफल हो जाने पर प्रयास करना छोड़ देते हैं| हम स्वयं को अपनी ही नकारात्मक
Transformational Journey Begins
हम अक्सर प्रतिकूल परिस्थियों के कारण और कुछ प्रयासों के विफल हो जाने पर प्रयास करना छोड़ देते हैं| हम स्वयं को अपनी ही नकारात्मक
जीवन एक संघर्ष ही है एंव इसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को करना होता हैं मुसीबतों से भागना, नयी मुसीबतों को निमंत्रण देने के समान है|
कहा जाता है माँ के आगे स्वर्ग भी फीका है, माँ अपना सब कुछ त्याग कर भी अपने बच्चो को पलती है, कहते है माँ
हम मानव तरह-तरह की व्याधियों से परेशान रहते हैं| व्याधि मतलब बीमारी इसका नाम सुनते ही लोग एकदम सोचने लगते हैं कि B.P. या SUGAR?
“जो बोओगे सो काटोगे” ये कहावत तो अपने –अपने जीवन में सबने सुनी ही होगी| इसी कहावत पर मुझे एक संस्मरण याद आता है —
प्रणाम करना, नमस्कार करना, दंडवत प्रणाम करना इन सबका अपना बड़ा ही महत्व है| दूसरे लाभों को हम एक तरफ भी रखदें तो भी अपने
यह बात सच है कि यह कहावत सुनने में जितना आसान लग रहा है, अच्छा लग रहा है, परन्तु चरितार्थ होते वक़्त, यह सफ़र, हमें
Poem: Mrityudand – Shreeram Iyer – UMantra [अभिभावक] हाय ! भाग्य में ही आया; क्यों मेरे यह मृत्युदंड || सूखता है कंठ मेरा; जब सुना
एक कोठे पर दो महिलाएँ अपना व्यापार कर रहीं थीं| उसी कोठे में एक कमरा एक और स्त्री ने ले रखा था, यह जानते हुए
यह अक्सर देखने में आता है कि इस संसार में सभी एक दूसरे से तुलना (comparison) करते रहते हैं| भाई बहनों में कितना प्रेम होता
यदि हम किसी राह पर आगे बढ़ना चाहते हों, और उस राह पर प्रकाश न हो तो हमें कदम कदम पर डर लगने लगता है,
मैं एक दिन कुछ shopping के लिए मॉल गयी| वहां मैंने एक छोटे बच्चे को देखा जो अपनी माँ के साथ आया हुआ था| मैं
मानवता की गरिमा इसी में है कि हम सज्जनता को धूमिल न होने दें| विनम्र और सज्जन व्यक्ति तो सबके प्रिय, बिना किसी प्रयत्न के
हम अक्सर देखते हैं कि जब कोई किसान अपने खेत में कुछ पौधे लगाता है तो उसपर बड़ी निगरानी रखता है कि पौधा सही तरह
अपने पथ पर आगे बढ़ते हुए, हमसे कुछ न कुछ कर्म तो होते ही हैं| जिसका प्रभाव हम पर ही पड़ता है| चाहे वह प्रभाव