कहा जाता है माँ के आगे स्वर्ग भी फीका है, माँ अपना सब कुछ त्याग कर भी अपने बच्चो को पलती है, कहते है माँ भगवन से भी बढकर है| इसी बात पर से मुझे एक स्वामी विवेकानंद जी की Story याद आ रही है जो मै आप सभी को सुनना चाहता हू|
स्वामी विवेकानंद जी की प्रसिद्धि उनके अच्छे आचरण और ज्ञान की वजह से पूरे विश्व में फ़ैल चुकी थी जहाँ भी जाते लोग उनकी बातो से मंत्र मुग्ध हो जाते
ऐसे ही वह एक किसी नगर में पहुचे, नगर वासियों को जब पता चला तो वे उनसे मिलने पहुचे.
नगर के सभी बड़े बड़े लोग एक से बढकर एक उपहार लेकर उनसे मिलने पहुचे| कोई गोल्डन रिंग्स लाया तो कोई Diamonds वाला हार, स्वामी जी भेंट लेते और अलग रख देते|
थोड़ी ही देर में वहां एक बहुत वृद्ध महिला पहुची और स्वामी जी से बोली आपके आने का समाचार मिला तो आपसे मिले व्याकुल हो उठी, बोली मै बहुत ही वृद्ध हु आपको देने के लिए कोई उपहार तो नही है में रोटी खा रही थी वही आपके लिए लायी हू, आप इसे स्वीकार कर लेते तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी|
स्वामी जी के आँखों में आंसू भर आये उन्होंने महिला की रोटी ली और खाने लग गए, कुछ लोगो को यह बात बहुत बुरी लगी बोले स्वामी जी हमारी भेंट आप अलग रखते जा रहे थे और महिला की झूठी रोटी आप बड़े स्वाद से खा रहे हो, ऐसा क्यों ..? स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए बड़ी सुन्दरता से उत्तर दिया देखिये आप लोगो ने मुझे अपनी पूरी दौलत में से कुछ हिस्सा निकलकर मुझे कीमती रत्न दिए, लेकिन उस महिला के पास तो कुछ भी नही सिवाय रोटी के, फिर भी उसने मुह का निवाला निकल कर मुझे दे दिया, इससे बड़ा त्याग और क्या हो सकता है, एक माँ ऐसा ही करती है खुद भूखे रहकर भी अपने बच्चो को खाना खिलाती है, यह एक रोटी नही माँ की ममता ही है| यह सुनकर सब चुप रह गए, आप कितने महान है. सबके मन में बस यही विचार थे |
वास्तव में माँ भगवन का दिया हुआ वरदान ही है जो हमको मिला है क्युकी माँ ही है जो खुद भूखे रहकर भी बच्चो को पालती है,
तो हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि माता-पिता की सेवा करिए उनका दिल मत दुखाइए|