आशा

मानव मन अक्सर घबरा जाता है कि अच्छाई कहीं ख़त्म तो नहीं हो गई? अच्छे लोग बहुत ही कम दिखाई देते हैं | परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं, हमें कई बार ऐसे अनजान लोग मिल जाते हैं जिनसे न हमें, न उन्हें, कुछ लेना देना हो,पर फिर भी ऐसी अच्छी सलाह दे जाते हैं,कोई परेशानी में हो तो मदद भी कर जाते हैं|

इसी बात पर मुझे कुछ घटनाएँ याद आ रही हैं,जो मेरे चाचा जी ने मुझे सुनाईं थीं| एक बार की बात है वे मेरी cousin की कॉलेज Fee जमा करने Govt. कॉलेज में गए थे| उसी समय एक retired व्यक्ति पहुंचे| जिनकी बेटी को कॉलेज में admission करवाना था| उनकी बेटी के पास supplementary clear की हुई 12 th की mark sheet थी, परन्तु सबमे अच्छे Marks थे| उस बच्ची के पिताजी ने कहा मैं रिटायर्ड हूँ, पूरी fee भरनी है| तुरंत उस clerk ने कहा uncle ji आप चिंता न करें,आप fee भर दीजिये| मैं आपको एक फॉर्म भरवाता हूँ, उससे आपकी बेटी को ( मेरिट-कम-मीन्स) Merit –cum –means scholarship मिल जायेगी, क्योंकि उसके Marks तो बहुत ही अच्छे हैं, और आप रिटायर्ड हैं अर्थात् fee भरना आपके लिए कठिन है, रुपये पैसों की तंगी है, इससे आपके ऊपर ज्यादा खर्च का भार नहीं पड़ेगा|
अगर उन clerk ने बताया न होता तो उस व्यक्ति को कैसे पता चलता कि ऐसी भी कोई स्कालरशिप मिल सकती है| उस लडकी को पूरी B.Sc की पढाई स्कालरशिप से हुई|
भला हो उस क्लर्क का जिसके कारण हमें इतनी मदद मिली– ऐसा जरूर उन माँ बाप ने और उस लडकी ने भी सोचा होगा| यह तो निश्चित है कि दुआएं हमेशा लगती हैं| हमें हमेशा आशावान रहना है कि लोगों में अब भी मदद करने की भावना है, की अच्छाई अभी बाकी है, तभी तो उस व्यक्ति ने मदद |
दूसरी घटना— एक बार एक बड़े प्रोफ़ेसर साहेब किसी सरकारी दफ्तर में गए, वहां उन्होंने एक नव युवक को देखा जो clerk की कुर्सी पर था , बड़ा ही अच्छा, बिना, किसी का काम अटकाए, बड़े ही प्रेम पूर्ण व्यवहार के साथ, सबके काम कर रहा था| प्रोफेसर साहब की दृष्टि बड़ी ही पारखी थी| वे उसकी काबलियत को पहिचान गए कि यह तो बड़ा ही होनहार बालक है| उस लिपिक से पूछे कि आप ये बताइये कि आप यहाँ क्या कर रहे हैं| आप यहाँ कैसे आ गए? वह बोला कि डिग्री में Percentage कम होने के कारण और कहीं जा न सका और Govt job के लिया exam दिया तो हो गया| इसलिए ये job कर रहा हूँ| अरे! यह जगह आपके लिए नहीं है| मेहनत कीजिये फिर से कोशिश कीजिये| वह GMAT देकर भारत के बहुत अच्छे B.School में गया,और वहां से बहुत अच्छी डिग्री हासिल कर बहुत बड़ी company में बहुत बड़े पद को विभूषित किया|
भला उन प्रोफ़ेसर साहब को उस clerk से क्या लेना –देना था ? परन्तु एक होनहार बालक के जीवन को इस प्रकार spoil होते वे देख नहीं पा रहे थे|
इसी लिए सही समय पर उनने ,सही सलाह दी| उस होनहार बालक को सही और बहुत बड़े पद की प्राप्ति हुई जिसके वह योग्य था|
ये घटना भी हमें यही बताती है कि अच्छाई अभी बाकी है ,निराश न हों |
आशा न छोड़ें | आशावान रहें |

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