हिंदी कविता : परीक्षा की घडी जब, आन पडी ।

परीक्षा की घडी जब, आन पडी ।
हर कार्य की गति जब, हार पड़ी ।।
न दिखा जब कोई सहारा ।
देव देव आलसी पुकारा।

कर्म से भला, हमें क्या लेना।
बिन काम किए, बस मिले हमें मेवा ।
इस सोच को जब, मन ने ललकारा।
देव देव आलसी पुकारा।

जब सारी दुनिया, व्यस्त गहन।
हम तो भैया, मस्त मगन।।
जब ना दिखा, कोई किनारा।
देव देव आलसी पुकारा।।

कर्म से यहां, जब फल मिलता है।
परिश्रम भला कौन करता है ?
मिले किसी की, मेहनत का सहारा।
देव देव आलसी पुकारा।।

प्रण करते हैं, अब काम करेंगे।
सब जन का, कल्याण करेंगे।।
इस बार बस, कोई दे दे सहारा।
देव देव आलसी पुकारा ।।

Contributor
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *