हम सब इस बात को जानते ही हैं कि गुणों से भरा हुआ व्यक्ति सदा ही बड़ा विनम्र सरल और सहज होगा| जो घड़ा भरा हुआ हो वो छलकेगा नहीं, इन बातों को ध्यान में रखकर यदि हम बड़ी बारीकी से observe करें तो पता चलता है कि जिस प्रकार सुगन्धित पुष्प को कहना नहीं पड़ता कि मुझमे सुगंध है, वह सुगंध अपने आप ही फैलती है, इसी प्रकार सरलता व सहजता इस बात को उजागर करते हैं यह व्यक्ति गुणों से भर पूर है, ऐसों की संगति का बड़ा ही अच्छा प्रभाव पड़ता है,जिनको बार –बार देखने से मनुष्य का जीवन इतना पवित्र हो जाता है कि सारा ज्ञान उसमे भर जाता है, उनकी वाणी से मनुष्य का कल्याण हो जाता है,उनसे निकलता हुआ प्रकाश, दूसरों के हृदयों के अन्धकार को दूर कर देता है, मन अपने ही आप इतना शांत हो जाता है कि कोई विचार आते ही नहीं| ऐसे लोग सिर्फ जन कल्याण के लिए आते हैं| किसी भी राज्य में वे रहें वहां के लोगों को इसका फल मिलता ही है|
इसी बात पर एक दृष्टान्त याद आ रहा है — एक राजा जानश्रुति थे, उनके राज्य में प्रजा बड़ी सुखी थी, वहाँ कभी भी अकाल नहीं पड़ा, सदा समय पर बारिश होती| राजा को लगता था कि ये मेरे presence का प्रभाव है कि मेरे राज्य में इतनी खुशहाली है| इस बात से वे बड़े प्रसन्न थे|
राजा ने रात को एक स्वप्न देखा –दो हंस आकर बैठे हुए हैं, आपस में बातें कर रहे हैं और उनकी भाषा राजा समझ रहे हैं| एक हंस कहता है कि इस राजा के राज्य में जो सुख शान्ति है इसका कारण राजा जानश्रुति ही हैं| इसपर दूसरे हंस ने कहा –यह राजा का प्रताप नहीं है| यहाँ एक भक्त रहता है जिसका नाम है रैक्व | जिसके ज्ञान का प्रकाश यहाँ फैला हुआ है| उसी से ये सारा ज्ञान राजा को प्राप्त हो रहा है, और सारे कार्य ठीक समय पर होते जा रहे हैं| ये बात सुनते ही राजा की आँख खुल गई|
राजा ने तुरंत लोगों को चारों ओर पहुंचाया कि महात्मा रैक्व का पता लगाया जाय,
मैं उनके दर्शन करना चाहता हूँ| खूब ढूँढा गया परन्तु पता न चला| लोगों ने कहा राजा यह तो स्वप्न की बात है, हो सकता है ये सच न हो| पर राजा इस बात से सहमत न थे| बोले मेरा स्वप्न ऐसा वैसा नहीं है, जाओ फिर ढूंढो| पूछा गया कि रैक्व नाम का कोई महात्मा ,वैश्य,व्यापारी साधू हो या कोई काम करने वाला भी हो,पता लगाओ|
पता चला कि एक गाडीवान है| प्रातःकाल एक आदमी ने जाकर देखा कि एक आदमी बड़ा ही साधारण सा बैठा हुआ है, उससे पूछा आप कौन हैं? बोला मैं इसी गाँव में रहता हूँ ,मेरा नाम रैक्व है| इस पर रैक्व को ढूँढने आया हुआ वह आदमी बड़ा खुश हो गया| वह राजा के पास पहुंचा और सारी बातें बतायीं| राजा बड़े प्रसन्न हुए| अपने कुछ ख़ास आदमियों को भेजा कि उन्हें अपने साथ विनम्रतापूर्वक ले आयें| उनलोगों ने महात्मा रैक्व को प्रणाम किया और कहा कि महाराज! राजा ने आपको बुलाया है|
उन्होंने यह वाणी कही –मुझे राजा से क्या काम? गए नहीं| उनकी सरलता तो देखिये! राजा के बुलावे पर भी कोई असर नहीं, अगर कोई साधारण व्यक्ति होता तो इतना importance राजा द्वारा दिए जाने पर गर्व से फूला न समाता| राजा स्वयं ही उनके पास गए ,चरण स्पर्श किया | इस प्रकार महात्मा ने अंत में राजा को उपदेश दिया|
इस कथा से यह पता चलता है कि महात्मा लोग जो गुणों के पुंज हैं,फिर भी अपने आप को किस तरह इस संसार के लोगों से छिपाए रखते हैं कि ऐसे लोगों की सहजता व सरलता से कोई इन्हें पहचान ही नहीं सकता कि ये कितने आत्मिक शक्ति से भर पूर हैं|