मेरे एक uncle ji थे जो गाँधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे | वे सत्यप्रिय और अहिंसावादी भी थे |साहित्य भी पढते तो इस प्रकार का, जो सत्य एवं अहिंसा के भावों से भरा हो |
वे अपने घर में अपनी पत्नी व बच्चों को इसी राह पर चलने के लिए प्रेरित भी करते थे अर्थात् जब बच्चों की demand कहानियों की होती तब वे सत्य अहिंसा पर आधारित कहानियां ही सुनाते| सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के, सत्यवादी होने के पर उनकी परीक्षा ली गई थी| शर्त यह थी कि, क्या वे इस परीक्षा में सफल हो पाएँगे | इसके लिए जो परीक्षा ली गई थी, वह वास्तव में बड़ी ही कठिन थी| हरिश्चन्द्र जी की जगह कोई और होता तो परीक्षा में कतई pass ना होता|
उन्हें विश्वास था कि उनके बच्चें कभी भी झूठ नही बोलेंगे | एक दिन उन्होंने अपने बेटे को कुछ काम सौपा| फलां-फलां कार्य कर आना और कार भी सर्विसिंग करवानी है सो दे देना और शाम 5:30 बजे मुझे लेते हुए घर लौट आना | बच्चें ने क्या किया कि फिल्म देखने बैठ गया उसे समय का ध्यान न रहा शाम 6 बज गए, जैसे ही समय देखा फटाफट भागा और papa के पास पहुँच गया |पहुँचते ही पिता ने पुत्र से पूछा बेटा! क्या बात है? क्यों late हो गए? पापा! कार सर्विसिंग करके उन्होंने देर से लौटाई | पापा पहले ही service center wale से पूछ चुके थे कि कार की servicing हुई कि नहीं इसलिए उन्हें पता था कि कार तो समय पर ही ठीक हो चुकी थी| बेटे का इस प्रकार झूठ का सहारा लेना उनके लिए ऐसा प्रतीत हुआ कि “मेरे ही परवरिश में कमी रह गई ,जिसकी वजह से मेरे बेटे को सत्य बोलने की हिम्मत न पड़ी और उसे असत्य का सहारा लेना पड़ा| इसलिए इसका प्रायश्चित मुझे ही करना होगा| और अहिंसा के पुजारी होने के नाते से वे बेटे को कोई कठिन सजा देने के खिलाफ थे |
अपने आप को सजा देने के लिए उन्होंने अपने बेटे से कहा एक काम करो कि
तुम ही कार चला कर जाओ और मैं पैदल ही आऊँगा| तुम ने जो झूठ का सहारा लिया इसके लिए मैं पैदल ही आऊँगा और इसका प्रायश्चित्त्त्त करूँगा| वह बालक 15मील तक अपने papa के पीछे car से चलता रहा और मन ही मन अपने आपको कोसता रहा कि काश मैं अपने पापा से झूठ न बोलता| सोचते हुए धीरे-धीरे पीछे-पीछे कार चलाते हुए घर पहुँचा| इस घटना ने बालक को इस तरह से झंझोड़कर रख दिया कि पूछो मत, उसके पिता का इस तरह स्वयं को पीड़ा पहुंचाना उससे सहा न गया| इस अहिंसावादी घाव ने उसे आजीवन सत्य के मार्ग पर चलने की शक्ति दे दी| उसने कसम खा ली कि अब वह आजीवन कभी भी झूठ नहीं बोलेगा|