महाविद्यालय (college) में परीक्षाएं समाप्त हुईं, हॉस्टल की छात्राओं ने अपनी (warden madam) छात्रावास प्रबंधक महोदया जो मेरी friend हैं से request की कि अब छुट्टियों में हम सब अपने अपने घर चले जायेंगे, उसके पहले क्यों न हम सब मिलकर मॉल (mall) चलें? उन्होंने इज़ाज़त देदी| कुछ लड़कियों ने गले के हार लिए, कुछ ने हाथों की चूड़ियाँ लीं, कुछ ने कान के कुण्डल लिए और कुछ लड़कियों ने अपने हाथों में मेहंदी रचवाई|
सारी लडकियों ने इन सब आभूषणों से अपने आपको आभूषित कर madam से पूछने लगीं कि मैं कैसी लग रही हूँ? सब बहुत खुश थे|
सबने कहा कि अब तो भूख लगी है कुछ खाया जाय| वहां सबने अपनी अपनी पसंद की चीज़ें मंगवाईं और खुशी-खुशी खाने लगीं|
इतने में उस मैडम की दृष्टि एक ऐसी लडकी पर पडी, जिसके पहनावे से ये समझ मे आ रहा था कि वह कोई बहुत अमीर नहीं है| परन्तु क्या तारीफ़ करूं उस लडकी की जो स्वयं कोई बड़ी नहीं २०-२१ साल से ज्यादा उम्र की न होगी| अपने साथ उससे भी ज्यादा गरीब 7-8 बच्चों को लेकर आई, उन्हें बड़े प्यार से कुर्सियों पर बिठाकर एक-एक से पूछती बेटा तुम क्या खाओगे? सबके सामने उनकी मनपसंद चीज आ गई| खाओ बेटा अच्छे से खाओ, और कुछ खाओगे? बताओ | मत शरमाओ कहती जाती|
इस दृश्य को वह वार्डन मैडम ध्यान पूर्वक देख रहीं थीं अब उनसे रहा नहीं गया| वे उठकर उसके पास गयीं और पूछीं कि मैं आपको बहुत देर से देख रही हूँ कि आप इनको कितने प्यार से खिला रही हैं, आप यह बताएं ये आप के कौन हैं?
इस पर उस बालिका ने कहा कि ये मेरे घर से कुछ ही दूरी पर रहने वाले गरीब बच्चे हैं, मैं इन्हें अपने घर पर बुलाकर बिना कुछ फीज (fee) लिए ही पढ़ा भी देती हूँ , मुझे लगा कि इन्हें भी तो मॉल देखने घूमने का अधिकार है, ये भी तो कभी कुछ स्वादिष्ट भोजन कर सकते हैं, क्यों न इस शुभ कर्म को मैं ही करूँ, अतः इन्हें यहाँ ले आयी|
इन्हें खुश देखकर मैं अत्यंत खुश हूँ|
उस मैडम ने अपने बच्चों को बुलाकर कहा — आभूषणों और अच्छे वस्त्रों मेहंदी आदि से किसी की सुन्दत्ता नहीं बढ़ती| सुन्दर विचार और सुन्दर व्यवहार हो, और गरीबों के प्रति प्रेम भाव हो, उनके लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो यही सबसे सुन्दर आभूषण हैं| ऐसा आभूषण जिस किसी के भी पास हो उसे किसी भी आभूषण की कोई आवश्यकता है ही नहीं|
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wow beautiful said.