हमने सुना है क्रोध में लोग अक्सर अपना विवेक खो देते हैं और हमेशा खुद का ही नुकसान करते हैं। कभी-कभी तो कुछ ऐसा कर बैठते हैं, कि पूरी जिंदगी पछताने के सिवा उनके पास कुछ भी नहीं बचता। इसी बात पर मुझे एक कहानी याद आ गई।
एक किसान ने एक कुत्ता पाल रखा था। कुत्ता उसे अपने दिलो जान से भी ज्यादा प्यारा था। कुत्ता भी अपने मालिक का वफादार था और उसकी वफ़ादारी की चर्चा पूरे गांव में थी। वह किसान एक साहूकार से कर्ज लेता और बदले में उसके पास कुछ सामान गिरवी रखता। कुछ दिनों बाद उसके पास कुछ भी ऐसा न बचा जिसे रख कर वह कर्ज ले सके। न चाहते हुए भी मजबूरीवश उसे अपने कुत्ते को गिरवी रखना पड़ा। कुत्ते ने भी अपने मालिक की मज़बूरी को समझते हुए, साहूकार के पास रहने के लिए हामी भर दी। कुत्ता जानता था कि उसका मालिक उसके बिना नहीं रह पाएगा और जल्द से जल्द उसे यहां से छुड़ा कर ले जाएगा । चूँकि साहूकार ने भी उसकी वफ़ादारी की चर्चा सुन रखी थी इसलिए उसे रखने के लिए तैयार हो गया।
कुत्ते के बिना किसान भी दुःखी था और उधर कुत्ता भी। दो-तीन दिन ही हुए थे कि किसान ने देखा कि कुत्ता मारे ख़ुशी के झूमता हुआ घर की तरफ चला आ रहा है। यह देख किसान को बड़ा गुस्सा आया। वह सोचने लगा कि मैंने इसे अपने संतान की तरह प्यार किया और इसने मेरे वचन की लाज भी न रखी। किसान ने क्रोध में न आव देखा न ताव पास पड़ा बड़ा पत्थर उठा के उसके सर पर दे मारा। कुत्ता चिल्लाते हुए वहीं बेहोश हो गया। जब किसान का गुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ तो वह कुत्ते के पास गया। कुत्ता मर चुका था। तभी किसान की नज़र उसके गले में लटके हुए एक पर्ची की तरफ गयी, जिसपर लिखा था – मैं तुम्हारे सारे कर्ज़े माफ़ करता हूँ, और ख़ुशी-ख़ुशी सदा के लिए इसे आज़ाद करता हूँ।
इतना पढ़ते ही वो साहूकार के पास गया। साहूकार ने बताया कि कैसे कुत्ते ने मेरी सारी संपत्ति की रक्षा की है। कल रात उसके घर कुछ चोर आये थे। कुत्ता तुमसे बिछड़ने की वजह से बेचैन था और बिना कुछ खाये पिए ऐसे ही पड़ा था। उसे जब चोर की आहट लगी तो, वह चुपचाप चोर के सारे कारनामे को देखता रहा और जब चोर सामान लेकर जाने लगे तो वह भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ा। उसने देखा कि चोर सारा सामान एक जगह छुपा कर, कह रहे थे कि सुबह होने वाली है, कल आकर सारा सामान आपस में बाँट लेंगे।
सुबह होते ही वह मुझे वहां ले गया और मुझे साऱी संपत्ति मिल गयी। जो कि तुम्हे दिए गए क़र्ज़ से कई गुना अधिक थी। उसके सूझ-बूझ से ही मुझे सबकुछ वापस मिला और इसलिए मैंने उसे खुश होकर आज़ाद कर दिया, साथ ही तुम्हारा सारा क़र्ज़ भी माफ़ कर दिया। इतना सुनते ही किसान के होश उड़ गए और वह रोता बिलखता कह रहा था हाय! मैंने ये क्या कर दिया, अपने ही हाथों से अपना सब कुछ लुटा बैठा।
तो दोस्तों, हमने देखा कि कैसे किसान के क्रोध ने उसका सर्वनाश कर दिया। इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि “हमें हमेशा अपने क्रोध को वश में रखना चाहिए न कि खुद को क्रोध के वश में”।