एक राजा था बड़ा ही न्याय पर चलने वाला था | अपनी प्रजा का अत्यधिक भला चाहता था| वह इस बात का पूरा ध्यान रखता था कि भूल कर भी उससे कोई भूल न हो| उसकी प्रजा कभी भी दुखी न रहे| इस कारण वह अक्सर रूप बदलकर आम इंसान का वेश बनाकर,अपनी ही प्रजा के बीच जाकर बैठता और राजा के बारे में बातें करके उन लोगों से अच्छे बुरे का पता लगा लेता था,कभी तो अपराधी बनकर न्यायालय की जांच कर लेता |
इसी प्रकार यदि हम अलग व्यक्ति बनकर अपने व्यवहार को देखें तो पता चल सकता है कि हमसे कहाँ गलती हो रही है और अगर हममें कोई कमी दिखे तो सुधार सकते हैं, अर्थात् परिवर्तन ला सकते हैं|
कई व्यक्ति जीवन के प्रारम्भ में गरीब होते हैं, परन्तु आगे चलकर अमीर हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में भी जो गरीबी और गरीब को न भूले वही सच्चा मनुष्य है| परन्तु ऐसे लोग कम होते हैं | यही कारण है कि अपने अन्दर परिवर्तन की आवश्यकता है, यह परिवर्तन ही इस बात का एहसास कराता है कि गरीबी कितनी कष्ट दायक होती है| और वह गरीब की मदद के लिए सहर्ष तैयार हो जाता है| अगर हम हमेशा एक ही स्थिति में रहें तो ? अर्थात् हमेशा अमीर ही रहें , तो हम कैसे समझ सकेंगे गरीबी को और गरीब के problems ko|
इसी बात पर एक घटना याद आ रही है —
मैं एक ऐसी शिक्षिका के बहुत ही करीब रही हूँ जो अपने आप को किसी दूसरे की जगह पर रखकर, समझ लेती थी कि अगला व्यक्ति कितनी परेशानी में होगा, और यथा संभव सहायता करती थीं| जैसा कि कोई student है पढना चाहता है ,परन्तु धनाभाव है,तो उसकी fee भर दी| पढाई में कमज़ोर है पर tuition fee देने की गुंजाइश नहीं है,तो free में ट्यूशन पढ़ा दी, books ,school –bag,uniform वगैरह खरीद कर देदी| ऐसा नहीं कि वे कोई बहुत अमीर हों, जितना हो उतने में ही मदद भी करनी है ऐसी भावना|
स्थिति परिवर्तन पर एक और दृष्टांत याद आ रहा है
एक बार स्वामी विवेकानंद ने परम हंसजी से कहा था- जो आनंद आपके पास प्रारम्भ के दिनों में मिला, उसमे कुछ कमी हो गई है, कृपया वैसा ही आनंद फिर से दीजिये| इसपर राम कृष्ण जी बोले—पहले तुम कोई नशा नहीं करते थे, हमने तुम्हें एक गोली देदी, जिससे तुम्हें नशा आ गया| वह तुम अब रोज ले रहे हो, इसलिए वह अब तुम्हारी खुराक बन गयी| तुम्हारा वह नशा आज भी उतना ही है, उसमे कोई कमी नहीं है,परन्तु अब तुम उसे जान नहीं पाते हो| अर्थात् जो आनंद तुम्हें पहले मिलता था,उतना ही अब भी मिल रहा है|
जैसे हर दिन सूर्योदय ,सूर्यास्त का होना,चन्द्रमा का घटना –बढ़ना,फूलों का खिलना मुरझाना| ये सारे महान चमत्कार होते हुए भी हमारे लिए साधारण ही लगते हैं| इसीलिये इस सृष्टि में दिन रात, ज्ञान अज्ञान जैसी चीजें बनी हैं |यदि सब कुछ एक सा बना रहे तो, हम आगे ही न बढ़ते, और उन्नति ही न कर पाते| अर्थात् स्थिति में परिवर्तन की बहुत आवश्यकता है|