एक छोटा राज्य था| वहां का राजा बड़ा ही बुद्धिमान था| उसके कई मंत्री भी थे| राजा ने सोचा कि मेरे राज्य में मुझे प्रगति चाहिए| इसके लिए सभा बुलाई,और अपने मंत्रियों की सलाह के अलावा और व्यक्तियों को भी अपनी सलाह रखने का मौका दिया, और यह announce किया कि मैं सलाह सबकी सुनूँगा, आम जनता में से भी यदि किसी की सलाह मुझे बहुत ही अच्छी लगे तो उसे भी मंत्री के पद पर नियुक्त करूंगा|
राजा ने सभी की सलाह सुनी,उनके तर्क भी सुने| उसके अपने मंत्रियों से भी बहुत ही अच्छी सलाह एक व्यक्ति ने दी, तो राजा ने अपने वचन के मुताबित उसे भी अपने राज्य में मंत्री पद पर नियुक्त किया|
उसका नाम था प्रताप| किसी भी समस्या के लिए प्रताप के पास हमेशा बहुत बढ़िया सलाह रहती, naturally ये होने लगा कि हमेशा उसी की सलाह पर राजा की मुहर लगती| इससे सभी मंत्रियों को उससे ईर्ष्या होने लगी| सभी एक ही उपाय ढूँढने लगे कि किस प्रकार इसे बाहर निकालें, उसके लिए तरह –तरह के blames उसपर लगाने लगे|
एक दिन सब मंत्रियों ने मिलकर राजा से शिकायत की कि ये आदमी चोर है, उसने अपने राज्य से कोई कीमती चीज चुराकर अपने इस कमरे में रखी है,हमेशा इस room को lock करके रखता है| कई बार ऐसी शिकायत सुन-सुन कर राजा ने सोचा कि मुझे देख ही लेना चाहिए|
प्रताप को बुलाया और कहा की मैं तुम्हारे इस कमरे को देखना चाहता हूँ क्योंकि मुझे पता चला है कि तुमने इस Room में कोई कीमती चीज चुराकर रखी है और उसे दिन में एक-दो बार जरूर जाकर देख आते हो|
उसने राजा से विनती की महाराज! रहने दें, आप न देखे तो ही ठीक होगा| इसपर राजा का शक बढ़ गया| राजा ने कहा नहीं अब तो तुरंत खोलो | कमरे में एक कोने में एक Box रखा था, जिसमे एक बड़ा सा ताला भी लगा हुआ था, इससे राजा का शक और गहराया| राजा ने कहा तुरंत Box खोलो| जैसे ही box खोला तो राजा क्या देखते हैं कि जिस पुरानी सी मैली कुचैली सी Dress में वह पहले दिन आया था, वही उसमे रखा हुआ था| राजा के साथ में सभी मंत्री भी थे जिनने प्रताप की शिकायत की थी| सभी आश्चर्य चकित हो गए और सब की नज़रे शर्म से नीची हो गयीं|
राजा ने पूछा कि इन कपड़ों को इतना सम्हाल कर रखने का कारण क्या है? तो बोला –मैं इतने अच्छे राजसी वस्त्र, आभूषण, मान –सम्मान पाकर कहीं अपनी वास्तविकता को,अपनी औकात न भूल जाऊँ इसीलिये इन्हें इतना सम्हालकर रखा है, और हर दिन, दो बार अपने आप को याद दिलाता हूँ मेरी वास्तविकता यही है |
इस व्यवहार से वह व्यक्ति गर्व से बचा रहा| अपनी duty को भी ईमानदारी पूर्वक करता रहा |
0 Responses
a very inspiring story.