धर्म शब्द सुनते ही हम एकदम ऐसा सोचने लग जाते हैं जैसे—हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, इत्यादि ही है| परन्तु वास्तव में देखें तो इसके अलावा मानव धर्म नाम की भी कोई चीज़ है| अरे! मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म है| जब वह सर्वशक्तिमान हमें इस धरती पर भेजता है, तो कुछ-कुछ भूमिकाएं देकर भेजता है, जैसे—माँ,बहन,बेटी,पत्नी या पिता, पुत्र, भाई, पति इत्यादि|
वह यह देखता है कि मेरे द्वारा भेजा हुआ यह बंदा अपनी भूमिका किस तरह निभा रहा है, अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय कर रहा है या नहीं, और जब वह संतुष्ट हो जाता है कि यह अपनी भूमिका निभाने में खरा उतरा तो वह संतुष्ट होकर हमें ऐसी अमूल्य निधि देदेता है कि कितना ही खर्चकर लो नहीं ख़त्म होता है न ही कोई उसे चुरा सकता है , न ही रुपये पैसों की तरह मृत्यु के पश्चात यहीं छूट जाता है | यह एक ऐसी चीज़ है जो जन्म-जन्मान्तर तक साथ चलती है|
इसी बात पर एक दृष्टान्त याद आ रहा है–मानव धर्म निभाना, सिर्फ रिश्तोंके बीच मे ही हो, ऐसी कोई बात नहीं, यह तो हरेक के साथ हमारा बढ़िया व्यवहार ही है|
एक भठियारा था| उसमें एक गुण बहुत ही अच्छा था| जब कोई उससे कुछ सामान खरीदता और जान बूझकर, खोटा सिक्का पकड़ा जाता था तो वह उसे देखकर भी कि यह खोटा है स्वीकार कर लेता था, और सम्हालकर रख लेता था और लौटाता नहीं था| इस तरह जिसके पास भी खोटा सिक्का होता और कहीं न चलता तो इसके पास लाकर सौदा ले जाता और खोटा सिक्का पकड़ा जाता| एक दिन जब वो मरने को हुआ तो उसने परमात्मा से प्रार्थना की कि हे परमात्मा! मैंने आज तक किसी को भी खोटा सिक्का नहीं लौटाया, अब आज मेरी बारी है | मैं आपका एक खोटा सिक्का हूँ, आप मुझे न लौटाना,क्योंकि मैने जीवन भर कभी भी कोई खोटा सिक्का नहीं लौटाया इसलिए, आज मेंरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है,मेंरी प्रार्थना स्वीकार करें | अच्छा कार्य किया था इसलिए वह हक से अपने मन की बात उस सर्वशक्तिमान के समक्ष रख सका|
अपने जीवन में हमेशा जितना हो सके सबके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए| सबसे मीठा बोलना, दूसरों से प्रेम का व्यवहार करना इत्यादि| ऐसे लोग कम मिलते हैं जो दूसरों के दोषों को देखकर भी उसपर पर्दा डालते हैं|
सच्चे व अच्छे गुण मनुष्य के पास एक धरोहर है, जिससे सभी प्रसन्न रहते हैं ,ऐसों का सभी सत्कार करते हैं| ऐसे ही लोग महात्मा कहलाते हैं|